चीन ने आज से 6 वर्ष पहले ही मान लिया था कि कोरोना वायरस को युद्ध में भी इस्तेमाल किया जा सकता है और इसे लंबे समय तक जिंदा रखने की क्षमता भी चीन पास मौजूद है। और ऑस्ट्रेलिया के जिस अखबार ने यह प्रकाशित किया गया है। उसका कहना है कि अमेरिका के खुफिया एजेंसियों ने अपने रिसर्च के दौरान उस पेपर को हासिल कर लिया था। और इस पेपर को लेकर जिन बातों पर जोर दिया जा रहा है।
पहली बात ये है कि हो सकता है कि वह इसे हथियार के रूप में विकसित कर रहा था और संभव है कि उसी नहीं है यह इंसानों के बीच फैलाया हो और दूसरी बात यह भी मुमकिन है कि चीन जब चीन कोरोना वायरस को विकसित कर रहा था एक हथियार के रूप में तो यह वायरस वुहान की एक लैब से लीक हुआ और इंसानों के बीच फैल गया। अगर यह सब चीन ने नही किया है तब फिर चीन किसी भी तरह की जांच पर इतना घबराता क्यों है। यह एक बहुत बड़ा सवाल है और इसी सवाल का जवाब ढूंढते हुए अमेरिका की खुफिया एजेंसियां इस रिसर्च पेपर तक पहुंच गई और अगर इस रिसर्च पेपर को पूरी तरह से सही मान लिया जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना वायरस से मारे गए 3200000 लोगों की हत्या हुई है और इस नरसंहार के लिए 3200000 लोगों की हत्या के लिए चीन को जिम्मेदार माना जाना चाहिए चीन के वायरस के कारण पैदा हुए इस महामारी से हम और आप आज संघर्ष कर रहे हैं। अपना जीवन बचाने के लिए